यूँ न फेरा करो नज़र, मिलाने के बाद,
दिल टूट सा जाता है, तेरे जाने के बाद,
इल्म हो रहा है कि, तू अपना नहीं होगा,
इक अरसा तुझ से, अपनापन जताने के बाद।
क्या खूब होता है, तेरे चेहरे का नूर,
शानो पे जुल्फे, बिखराने के बाद,
हक नहीं मुझे, कि सरेराह पुकारूँ तुझे,
तेरे मुरीदों में अपना, नाम लिखाने के बाद।
कोई गुंजाइश बची हो, तो भी रहने दे,
अब कहानियों से तौबा, इस फ़साने के बाद,
बारूद के ढेर पर, बैठा हुआ हूँ अब,
तुझमे फना हो जाता, तुझे पाने के बाद।
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