फिर जीने की वजह ढूंढ़ते हैं,
रास आने वाली हवा ढूंढ़ते हैं,
ये मरहम ज़हर का काम कर गया,
चल तेरे ज़ख्मो की दवा ढूंढ़ते हैं।
जो मर मिटे किसी पे तो क्या हुआ? कुछ नहीं,
चल, मर के जीने की अदा ढूंढ़ते हैं,
जो बयाँ करे मेरी संजीदगी के दौर को,
ऐसा कोई पाक गवाह ढूंढ़ते हैं।
मुस्कुरा भी दे, वक़्त आता जाता है,
चल छोड़ दे सब, मिलके खुदा ढूंढ़ते हैं।
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